Monday, March 23, 2020

Hindi poetry - हिंदी कविता - pahad ki hariyali - म्यर पहाड़ (mera pahaad )

म्यर पहाड़(मेरा पहाड़) 


पत्थरों के इस जंगल में
एक पेड़ की तलाश कर रहा हूं
मैं पहाड़ का वो पंछी हूं जो इस जंगल में
ना जाने क्यों हरियाली की आस कर रहा हूं

भटक गया हूं इस जंगल में
जो रोशनी को निगल गए है 
और अपनी छाव में भी ये
ज्वालामुखी से उबल रहे है

इस जंगल की हवा इतनी जहरीली
की समय से पहले बूढ़ा रहा हूं
खाने के नाम पर हर दिन अपने भीतर
जहर ही में खा रहा हूं

पानी पीने के नाम पर भी पता नहीं
ये शहर हमको क्या पीला रहा है 
रहने को तो यहां रहा हूं पर मुझको
तो पहाड़ अपने पास  है बुला रहा है


मै पहाड़ का वो पंछी हूं
जो इस जंगल में हरियाली की आस कर रहा हूं
पत्थरों के इस जंगल में 
पेड़ की तलाश कर रहा हूं



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