ऐ ज़िन्दगी आज हम भी शराब पीकर आये है
थोड़ी नहीं हम तो बेहिसाब पीकर आये है
ऐ ज़िन्दगी सुना है तुझे खुद पर बड़ा गुरूर है
मयखाने में जाकर पूछो हम भी बड़े मशहूर है
ऐ ज़िन्दगी उजालो में न सही अंधेरो में रह लूँगा
तू चाहे जितना सितम कर हँसते हँसते सह लूँगा
इतना आसा नहीं है ऐ ज़िन्दगी मुझको झुकना
मुझे बखूबी आता है गम-ए -रंज में मुस्कुराना
तुझे जितना गुरूर है मुझे तुझ से ज्यादा गुरूर है
ये दिवाना ऐ ज़िन्दगी जमाने में हद से ज्यादा मशहूर है
हमने गम-ए -रंज का एक बना रखा है जहां ज़िन्दगी
हमको समझ पाना तेरे बस की बात है कहां है ज़िन्दगी
माना ऐ ज़िन्दगी तूने अपना फ़र्ज़ निभाया है
शुक्रिया ऐ ज़िन्दगी तूने ही गमो में रहना सिखाया है
- अनिल
No comments:
Post a Comment