Tuesday, March 24, 2020

hindi poetry - hindi kavita - Ae dost - ऐ दोस्त

ऐ दोस्त 



मेरे हालातो से वाकिफ हो,
फिर भी पूछते रहते हो क्या हाल है
मेरे पास जिसका कोई जवाब नहीं
यार ये वही सवाल है

यू तो मैं पूरी दुनिया से लड़ सकता हूँ
पर अपनों के आगे मैं मज़बूर हूँ
जो मेरे अपने है मुझे अपना मानते है
उन्ही से मै कोसो दूर है

काश मेरी ज़िन्दगी में
यार ये मज़बूरिया न होती
तुम मेरे पास होते तो
हमारे दरमिया ये दूरियाँ न होती

मैंने हर सजदे में
 खुदा से तुम्हारा दीदार मांगा है
हर दुआ में ऐ दोस्त
तेरे लिए खुशियों का संसार माँगा है

तुम रहो सदा आबाद
हम  तो दुनिया को अलविदा कहना चाहते है
मर कर भी ऐ दोस्त
तुम्हारी यादो में ज़िंदा रहना चाहते है

                - अनिल 

No comments:

Post a Comment

Blog Archive

tanha zindagi - तन्हा ज़िन्दगी

तन्हा ज़िन्दगी तन्हा ज़िन्दगी को कलम से  गुलजार कर रहा हूँ मैं  ज़िन्दगी से मिले ग़मो से  भरपूर प्यार कर रहा हूँ मैं  मुझे समझ...