Sunday, March 29, 2020

hindi kavita - वो






रूह भी साथ छोड़ने को तत्पर थी जहाँ
उनको वहाँ मैंने  अपने सबसे पास देखा है

कहते खूब है इश्क नहीं नफरत है तुमसे
पर  नज़रो में  उनकी खुद को ख़ास देखा है

कौड़ी भी मुनासिब न समझी मुझे आजतक
मेरी जली रोटी में उन्हें खुशमिज़ाज़ देखा है

मकान सूना बताते है मुझ संग वो अपना
पर दुनिया छोड़ उन्हें मेरे ही आस पास देखा है

और फासला बढ़ा बोले की अब हाल न पूछूँगा
पर मिलने की बेसब्री और उनका साज़ देखा है

- मानसी पंत 

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