पहरेदार
इस फोटो को खींचते समय मुझे उन बच्चो की याद गयी , जो किसी खाने की चीज़ को बनता देख , इतनी बेसब्री से इंतज़ार करते है की वो चीज़ जैसे ही चूल्हे से उतरे, तो सीधे वो खा ले।
अगर उस खाने की चीज़ को बनाने वाला गलती से भी उनको ऐसा करते देख ले, तो इतनी मासूमियत के साथ अपनी नज़रे उससे चुरा लेते है जैसे की उनको फर्क ही नही पड़ता की क्या बन रहा हो पर बनाने वाला उनकी बेसब्री को समझ जाता है और हल्की सी मुस्कान के साथ उनको देख कर हँस जाता है और उनको उनका हिस्सा देकर विदा कर देता है।
वही बेसब्री मुझे इस पहरेदार में भी नज़र आयी। जो दूध को एकटक उबलता हुआ देख रही थी और मैंने जैसे ही इसको देखा इसने अपना मुँह ऐसा फेर लिया जैसे इसको कुछ फर्क ही न पड़ता हो।
अगर उस खाने की चीज़ को बनाने वाला गलती से भी उनको ऐसा करते देख ले, तो इतनी मासूमियत के साथ अपनी नज़रे उससे चुरा लेते है जैसे की उनको फर्क ही नही पड़ता की क्या बन रहा हो पर बनाने वाला उनकी बेसब्री को समझ जाता है और हल्की सी मुस्कान के साथ उनको देख कर हँस जाता है और उनको उनका हिस्सा देकर विदा कर देता है।
वही बेसब्री मुझे इस पहरेदार में भी नज़र आयी। जो दूध को एकटक उबलता हुआ देख रही थी और मैंने जैसे ही इसको देखा इसने अपना मुँह ऐसा फेर लिया जैसे इसको कुछ फर्क ही न पड़ता हो।
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