Saturday, March 21, 2020

hindi kavita - Mulakaat -मुलाक़ात

 मुलाक़ात

जो गुनाह किये ही नहीं उनकी सजा पा रहा हूँ मै
सुन ज़िन्दगी आज तुझे ही छोड़ कर जा रहा हूँ मैं

दुनिया के रस्मों रिवाज़ से मुक्त होना चाहता हूँ
थक गया हूँ अब चिर निंद्रा मे सोना चाहता हूँ

मौत की गोद में बैठ ज़िन्दगी से दूर जा रहा हूँ  मैं
ऐ ज़िन्दगी तुम्हे छोड़कर मौत के पास जा रहा हूँ मैं

मैं ज़िन्दगी को पाने की चाहत को लिए फिरता रहा
ज़िन्दगी मेरे हाथ न आयी संभालता और गिरता रहा

ज़िन्दगी तुम्हे चोर कर जा रहा हु तो रंज मत करना
मैं तुम्हारे साथ चल न पाया तुम संभलकर चलना

खुदा ने चाहा तो फिर किसी दिन हमारी बात होगी
अब जा रहा हूँ  फिर किसी मोड़ पर मुलाकात होगी 

                             -अनिल 

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