काबिल
तेरी नजरों मे खुद को काबिल बनाते बनाते
तेरी नजरों मे खुद को काबिल बनाते बनाते
हम खुद में कुछ ऐसा कर गए
कि,
तेरी नजरों मे काबिल न बन सके तो क्या ,
न सही,
पर हम खुद में काबिल तो बन गए।।
तेरी गलतफहमी दूर नही हुई अभी भी ,
हम आज भी नाकारे ही है तेरी नजरों में।
और अब तो, और अब तो,
हम भी नही करेगे, तेरी गलतफहमी दूर करने कि कोशिश,
क्योंकि अब हम भी समझदार हो गए है।।
दूर करके करूँ भी क्या, ये तो बताओ।
तू मेरी काबिलियत नापने का बनाएगा,
फिर से एक नया पैमाना।
और मैं फिर से करूँगा,
उस पैमाने मे खरा उतरने कि, एक नयी कोशिश ।
वो भी खुद कि खुशी से समझैता करके ,
सिर्फ और सिर्फ तेरी खुशी के लिए।
और तेरे लिए ,मेरी खुशी का क्या पैमाना ?
क्या मेरी खुशी, कुछ नही तेरे लिए ?
हाँ
शायद नही हूँ, मैं कुछ तेरे लिए
और न ही मेरी खुशी कुछ भी तेरे लिए।
क्योंकि हम सिर्फ नाकारे है ,तेरी नजरों में
और कुछ भी कर ले, नाकारे ही रहेगे तेरी नजरो में ।।
पर अब समझ गया हूँ तुझको भी मै,
तभी छोड दिया साबित करना खुद को मैने।
क्योंकि इस साबित करने और होने के खेल मे
हमेशा तेरी जीत और मेरी हार पक्की है।।
वो भी सिर्फ इसलिए कयोकि
मै कुछ भी कर लू,
काबिल नही बन पाऊगा तेरे लिए।।
पर सुन, शुक्रिया तेरा ,
मुझे एहसास कराने को
कि मैं इंसान हूँ ,सामान नही
जो पूरा करता फिरू ,तेरे हर पैमाने को
पर अब तू जा मुझे तेरी जरूरत नही क्योंकि ,
अब मैं समझ चुका अपने पैमाने को।।
पैमाना !
हाँ पैमाना कि,
मैं जैसा भी हूँ , खुश तो हूँ
अब खुद को समझता हूँ
अपनी खुशी के लिए जीता हूँ
पैमाना
कि अब,
मेरे पास है ,मेरे चाहने वाले
मेरा हर कदम साथ निभाने वाले
मेरी काबिलियत बताने वाले
मुझे जीना सिखाने वाले
बिना बात हँसाने वाले
और अगर रूठू तो मनाने वाले
अब मुझे खुद को साबित करना नही
और किसी के काबिल बनना नही
क्योंकि मैं एक इंसान हूँ सामान नही।।।
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