Tuesday, February 25, 2020

HINDI KAVITA-:हिंदी कविता Tu hai kaha तू है कहाँ ?

           तू है कहाँ ?                              



धूप में भी तू है और छाँव में भी तू
शहर में भी तू है और गाँव में भी तू
मेरे इर्द- गिर्द ही तू रहता है
पर ये तो बता तू है कहाँ ?

मुझ में भी तू है सब में भी तू
कल में भी तू था अब में भी तू
अनायास ही मुझसे गुजर जाता है तू
पर ये तो बता तू है कहाँ ?

बिंब भी तू है और प्रतिबिंब भी तू
भिन्न भी तू है और अभिन्न भी तू
मेरी सार्थकता का आग्रह है तू
पर ये तो बता तू है कहाँ ?

यथार्थ भी तू है यथार्थता भी तू
परमार्थ भी तू है जिज्ञासा भी तू
मेरे ज्ञान की पराकाष्ठा है तू
पर ये तो बता तू है कहाँ ?

छूटा भी तू है और काबिल भी तू
खोया भी तू है और हासिल भी तू
मेरे चेहरे के लकेरों की थाप है तू
पर ये तो बता तू है कहाँ ?

दरिया भी तू है साहिल भी तू
रक्षक भी तू है कातिल भी तू
मेरे जख्मों का मरहम है तू
पर ये तो बता तू है कहाँ  ?

प्रशंसा भी तू है और अभिशंसा भी तू
मन भी तू है और मंशा भी तू
लिलार से गिरते केशुओं की उत्कंठा है तू
पर ये तो बता तू है कहाँ ?

परलोक भी तू है धर्म भी तू
कृतार्थ भी तू है मर्म भी तू
हर इंसान बस तुझको ही खोजता आया है
पर ये तो बता तू है कहाँ ?

मुझमें समाया तू मेरा हमसाया तू
मुझसे भरमाया तू मुझसे शरमाया तू
मुझमें होकर तू मुझको नहीं दिखता है
अब ये तो बता तू है कहाँ ???


                            - कुलदीप कार्की








कुलदीप कार्की जी का बहुत-बहुत आभार, मुझे अपनी लिखी कविता भेजने के  लिए। 


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