Friday, March 20, 2020

hindi poetry- hindi kavita - zindagi -ज़िन्दगी

ज़िन्दगी के रंगमंच पर
हर किरदार निभाना पड़ता है 

काँटों में  से फूल चुनकर 
हर लम्हा सजाना पड़ता है 

सिर्फ सांसे चलने को
 ज़िन्दगी नहीं कह सकते साहेब 

ज़िंदा दिखने के लिए
गमो मे भी  मुस्कुराना पड़ता है 

 ज़िन्दगी तो यही  है साहेब 
यहाँ चलते जाना पड़ता है  



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