Tuesday, March 10, 2020

Hindi poem - Holi or vo - होली और वो


   होली और वो

होली का पहला गुलाल जो
तेरे गालो पर मैंने न लगाया 
तो बता क्या है होली !

तेरे माथे पर सजा गुलाल आज
मैने अपने हाथो से न लगाया
तो बता क्या है होली !

तेरी चुनर को जो मैने,
आज खुद से ना भिगाया
तो बता क्या है ये होली !

तेरी पिचकारी का पहला फुहार
जो मुझसे न टकराया 
तो बता क्या है ये होली !

तेरे हाथों से बनी ताजी गुजिया
 को जो न मै चख पाया
तो बता क्या है ये होली !

तेरे रंग से भरी काया को जो
आँखों से न रंगा देख पाया
तो बता क्या है होली !

तुझे छुप-छुप के जो अपने
गले से न लगा पाया 
तो बता क्या है होली !

तेरा संगी बन जो न 
दूजो से होली मिल पाया
तो बता क्या है होली !

तुझसे दूर रह जो
होली मैं मजा आया
तो बता क्या है होली !

                 -  अक्श 

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