Thursday, April 2, 2020

सुकून - sukoon - hindi kavita


जब होंठो से लगाया तुम्हें पहली बार,
वो अजीब सा अहसास, एक सुकून दे गया।

लेकिन एक डर भी था,
जमाने से कहीं ज्यादा घर वालों का,
तुम्हारा-मेरा यूँ छुप-छुप मिलना,
शायद किसी को पसंद न था।

 मेरे लबों पे तुम गर्मी का अहसास जो दे जाती,
नशा तुम्हारा था ही कुछ ऐसा।।

तुम्हारे आगोस में आते ही,
मैं सब कुछ भूल बैठता.....
मिलन की उस छोटी सी बेला में,
मेरे लिये तुम खुद मिट जाती थी।

समय बीतता गया.....
आखिर तुम्हें सरकार और समाज ने सार्वजनिक रूप से बैन कर दिया,
और हम भी बेवफा हो गये.....

इस तरह तुम्हारा-मेरा सालों का रिश्ता टूट ही गया।
एक दर्दनाक अंत
        मेरी प्यारी सिगरेट .......

-मुकुंद 


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