Monday, March 16, 2020

hindi kavita - kaliya - कलिया



कालिया भी आज खिलने से डरने लगी
हर पल ज़िन्दगी घुट घुट कर मरने लगी।

हुनर यहाँ आया नहीं किसी को जीने का
मज़ा ही अलग होता है गमो को पीने का।

गमो को पीकर ज़िन्दगी मैने  किनारा पाया है
अँधियो के शहर मे मैने चिराग जलाया है।

मै चट्टानों से टकरा तूफ़ानो काट आगे अड़ा हूँ
ये ज़िन्दगी सुन मैं मेरी उम्र से बहुत  बड़ा हूँ।

ज़िन्दगी हेर मोड पर अपनों से धोखा खाया है
इसलिए आज मैंने मने ये दर्द भरा गीत गया है।

लोग मेरे गीत को सुन मन ही मन मुस्कुराते है
कहा सब लोग मेरे जज़्बातों को समझ पाते है।


                                             - अनिल सिंघमार 

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