वो दूर कही ,कुहासे की चादर के पार, कही पर
मेरा भी एक घर बसता है । जहाँ कुछ मेरे चाहने वाले मेरे आने का इंतजार करते है और जहाँ न जा पाने कि खीज
मुझे इस जगह, बार बार खींच लाती है ।
गम हो या खुशी का पल या बस ऐसे ही, सब एक जश्न कि तरह यही पर मनाया जाने वाला ठहरा।।
ये अकेला खड़ा पेड़ मेरे अकेलेपन का साथी बन जाता है ।
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